नवसंवत्सर उत्सव

सनातन धर्म में हर वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नवसंवत्सर उत्सव मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की। यह ऐसा समय होता है जब भगवान सूर्यदेव के उदय की पहली किरण के साथ पूरी पृथ्वी नये रूप में निखर रही होती है। इसलिए जीवन में नवीनता का प्रतीक है यह उत्सव । साथ ही इस दिन विशेष से प्रारंभ होनेवाला तथा वैज्ञानिक आधार पर काल की गणना करने वाला विक्रम संवत् पंचांग विभिन्न खगोलिय घटनाओं की सटीक एवं प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध कराता है और देश के विभिन्न त्योहार, पर्व, व्रत एवं अन्य आयोजनों का निर्धारण करता है। यह उत्सव हमारे राष्ट्रीय स्वाभिमान का प्रतीक भी है। संस्था पिछले कई वर्षों से भव्य शोभायात्रा एवं माँ गंगा की आरती, महत्वपूर्ण व्याख्यानों तथा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से हिंदू नववर्ष उत्सव का पालन करती आ रही है, जिसमें हजारों की संख्या में नागरिकगण सम्मिलित होते हैं।